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मतदाता के मन में 'विकास' और 'सनातन' के प्रति समर्पण

मतदाता के मन में विकास और सनातन के प्रति समर्पण
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  1. सतना व रीवा लोकसभा सीट के लिए मतदान शुक्रवार को

दिग्गज नेताओं की तूफानी सभाएं बदल सकती हैं हवा का रुख

विंध्य क्षेत्र की सतना व रीवा लोकसभा सीट पर चौंकाने वाले हो सकते हैं परिणाम




सतना। लोकसभा चुनाव के दूसरे चरण में शुक्रवार को विंध्य की सतना व रीवा संसदीय सीट के लिए मतदान होना है। मतदान के पूर्व सियासी सरगर्मी और परिणाम को लेकर कयासों की हवाएं भी रह-रह कर अपना रुख बदल रही हैं। ऐसे में इन दोनों संसदीय सीटों के सम्माननीय मतदाताओं ने तय कर लिया है कि उसे अपना अमूल्य मत किस दशा और 'दिशा' में देना है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक चुनावी जंग में कूदे लड़ाके भले ही अपने-अपने पक्ष में मतदाताओं का रुझान होने का दावा कर रहे हों परंतु मतदाताओं के मन में विकास और सनातन ऐसे दो प्रमुख केंद्र बिंदु हैं जो उसे अपने मत के प्रति सचेत और निश्चिंत किये हुए हैं।

सतना व रीवा लोकसभा सीट वैसे तो भाजपा की परंपरागत सीट मानी जाती रही है, लेकिन सियासत के जानकार मानते हैं कि इस चुनाव में भाजपा, कांग्रेस व बसपा तीनो के बीच कांटे की टक्कर होगी। हालांकि भाजपा ने विधानसभा चुनाव में हारे प्रत्याशी गणेश सिंह को टिकट देकर मैदान में उतारा जिससे यह सीट चुनावी जंग में कमजोर मानी जा रही थी लेकिन पिछले सात दिनों में भाजपा के दिग्गज नेताओं के दौरे एवं चुनावी सभाओं से पार्टी प्रत्याशी की स्थिति मजबूत हुई है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी नड्डा, केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, प्रदेश के मुख्यमंत्री डा. मोहन यादव, नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय, उपमुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल तथा पूर्व सांसद व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष प्रभात झा, पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष बी.डी. शर्मा, राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल तथा उत्तर प्रदेश के मंत्री के दौरों के बाद भाजपा की स्थिति मजबूत हुई है। कमोवेश यही हाल रीवा लोकसभा सीट का भी रहा है।

रीवा के सांसद जनार्दन मिश्रा पर भाजपा ने फिर से भरोसा जताते हुए उन्हें चुनाव मैदान में उतारा है, उनके सामने नीलम अभय मिश्रा कांग्रेस की तरफ से चुनावी चुनौती दे रही हैं। चुनाव प्रचार के दौरान राजनीतिक दलों के पक्ष में परिस्थितियां भले ही दिन-प्रतिदिन बदलती रही हों परंतु इन सबके बीच समझदार मतदाता खामोशी से मतदान के समय की प्रतीक्षा कर रहा है। उसने तय कर रखा है कि जातिवाद के समीकरणों, आरोप-प्रत्यारोपों के बीच उठती अनिश्चितता के भंवर में न फंसते हुए उसे करना क्या है।

Updated : 26 April 2024 10:22 AM GMT
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Swadesh Satna

Satna Web Desk


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