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महाशिवरात्रि शिव और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी कल

मंदिरों में रात्रि 12 बजे से होंगे दर्शन, भक्तों के दर्शनार्थ खुला अचलेश्वर महादेव मंदिर

महाशिवरात्रि शिव और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनेगी कल
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ग्वालियर। महाशिवरात्रि का महापर्व 8 मार्च शुकवार को शिव और सर्वार्थ सिद्धि योग में मनाया जाएगा। गुरुवार रात्रि 12 बजे से शहर के शिव मंदिरों में भक्तों द्वारा भगवान के दर्शन करना शुरू कर दिए जाएंगे। वहीं दूसरी ओर शहर के प्रमुख शिव मंदिरों में शामिल श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर, कोटेश्वर, गुप्तेश्वर, भूतेश्वर एवं गिरगांव स्थित शिव मंदिर सजकर तैयार हो गए हैं। इन मंदिरों पर आकर्षक विद्युत सजावट की गई है। साथ ही श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर भक्तों के लिए खुल गया है और भक्तों द्वारा भगवान के दर्शन करना भी शुरू कर दिए हैं। दोपहर के समय मंदिर के गर्भ ग्रह की साफ-सफाई भी की गई। ज्योतिषाचार्य सुनील चोपड़ा ने बताया कि महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव और माता पार्वती को समर्पित है। इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव शादी के बंधन में बंधे थे। इसलिए इस दिन माता पार्वती और भगवान शिव की पूजा अर्चना करने से व्यक्ति को सुख और सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

महाशिवरात्रि पर बनेंगे दुर्लभ योग:-

इस बार की महाशिवरात्रि बहुत ही खास मानी जा रही है, क्योंकि इस बार महाशिवरात्रि के दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। ज्योतिषाचार्य के अनुसार सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 06 बजकर 38 मिनट से 10 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। शिव योग 8 मार्च को सुबह 08 बजकर 40 मिनट से 9 मार्च को रात्रि 12 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। सिद्ध योग 9 मार्च को रात्रि 12 बजकर 46 मिनट से 08 बजकर 32 मिनट तक रहेगा।

महाशिवरात्रि का शुभ मुहूर्त:-

पंचांग के अनुसार, फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि का आरंभ 8 मार्च को रात में 9 बजकर 57 मिनट पर होगा और अगले दिन यानी 9 मार्च को 6 बजकर 17 मिनट पर समाप्त होगी। हालांकि, भगवान शिव की पूजा करने का विशेष महत्व प्रदोष काल में होता है, इसलिए 8 मार्च को ही महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। महाशिवरात्रि का निशिता मुहूर्त देर रात 12 बजकर 7 मिनट से मध्यरात्रि 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। निशिता पूजा का समय 9 मार्च को सुबह 12 बजकर 12 मिनट से 1 बजकर 1 मिनट तक रहेगा। महाशिवरात्रि के दिन पूरे दिन व्रत रखने के बाद अगले दिन यानी 9 मार्च को पारण किया जाएगा। इस दिन पारण के लिए शुभ मुहुर्त सुबह 06 बजकर 37 मिनट से लेकर दोपहर 03 बजकर 28 मिनट पर है।

पहर के अनुसार पूजा का समय:-

रात्रि पहला प्रहर पूजा समय शाम 6 बजकर 29 मिनट से रात 9 बजकर 33 मिनट तक रहेगा। रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय 9 मार्च को सुबह 12 बजकर 37 मिनट से 3 बजकर 40 मिनट तक रहेगा। रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय 9 मार्च सुबह 3 बजकर 40 मिनट से 06 बजकर 44 मिनट तक रहेगा।

ललितपुर कॉलोनी, महादजी चौक और जयेन्द्रगंज से होगा भक्तों का प्रवेश:-

श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन करने के लिए भक्तों का प्रवेश ललितपुर कॉलोनी, महादजी चौक और जयेन्द्रगंज से होगा। जो भक्त मंदिर में नहीं आना चाहते हैं वे सडक़ के मुख्य द्वार से भगवान के दर्शन कर सकते हैं। इन भक्तों के लिए जलपात्र भी लगाए जा रहे हैं जो बाहर से जल और दूध चढ़ाकर भगवान का अभिषेक कर सकते हैं। वाहनों की पार्किंग उत्सव वाटिका, जीवाजी क्लब, कटोराताल, रोशनी घर एवं अस्पताल रोड़ पर होगी। भगवान के दर्शन हेतु चार टीवी स्क्रीन भी लगाई जा रही है। प्रसाद वितरण हेतु 50 स्टॉल भी लगाए जा रहे हैं। इसके साथ जगह-जगह दान पेटियां भी लगाई जाएंगी। भक्तों के लिए यह मंदिर शुक्रवार की रात्रि 12 बजे से खुल जाएगा। मंदिर को विशेष आकर्षक लाइट से सजाया जा रहा है। अचलेश्वर मंदिर से लेकर इंदरगंज चौराहे तक सजावट की जा रही है। काबडि़ए भी रात्रि 12 बजे के बाद आकर भगवान को जल अर्पित कर सकेंगे।

गुप्तेश्वर से निकलेगी शिवजी की बारात:-

श्री गुप्तेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी अशोक बित्थरिया ने बताया कि महाशिवरात्रि पर मंदिर पर चार पहर की पूजा की जाएगी। इस दिन सुबह 11 बजे शिवजी की बारात निकाली जाएगी जो विभिन्न मार्गों से होती हुई श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेगी जहां दोनों का मिलन होगा। जगह-जगह बारात का स्वागत किया जाएगा। मंदिर में फूलबंगला एवं झांकी भी सजाई जाएगी।

भगवान भोलेनाथ बनेंगे दूल्हा:-

फूलबाग स्थित मारकंडेश्वर महादेव पर भी शिवरात्रि को लेकर तैयारियां चल रही हैं। मंदिर के पुजारी डॉ. मनोज भार्गव ने बताया कि यह मंदिर 300 वर्ष पुराना मंदिर है। उनकी छटवीं पीढ़ी यहां पूजा कर रही है। शिवरात्री पर भगवान के तीन श्रंगार किए जाएंगे। इन श्रंगारों से भगवान शिव को दूल्हा बनाया जाएगा। भक्तों को लाइन में लगाकर प्रवेश दिया जाएगा। इसके साथ भगवान का पेड़ों के पत्तों व फूलों से श्रंगार किया जाएगा। महिला-पुरूषों की लाइनें अलग-अलग होंगी। उन्होंने बताया कि ब्रह्म मुहुर्त में सुबह चार बजे भगवान मारकंडेश्वर की आरती के बाद सन्यासी के रूप में, दोपहर 2 बजे दूल्हे के रूप में विशेष श्रंगार किया जाएगा।

दोपहर से ही सज गईं दुकानें:-

श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर पर छोटे-छोटे फूलों की दुकानें शुक्रवार की दोपहर से ही सज गई हंै। प्रसाद वितरण के लिए 50 स्टॉल लगाए गए हैं। संपूर्ण बाजार को आकर्षक ढंग से सजाया गया है।

क्या करें, महाशिवरात्रि पर्व पर विशेष:-

- ज्योतिषाचार्य के अनुसार महाशिवरात्रि के दिन गन्ने के रस से शिवजी का अभिषेक करने से दरिद्रता का नाश होता है और धन्य धान की प्राप्ति होती है। यदि जीवन में शत्रुओं का प्रभाव बढ़ गया हो, अथवा शत्रु परेशान करते हों तो गोमती चक्र पर शत्रु का नाम लिखकर शिव जी के चरणों में अर्पित कर दें। इससे शत्रुओं मनोदशा आपके प्रति बदल जाएगी।

राशि के अनुसार करें शिव की पूजा:-

- मेष शिवलिंग पर गुड़हल या लाल फूल, बेलपत्र आदि अर्पित करें।

- वृषभ सफेद पुष्प, गाय का दूध और जल अर्पित करें।

- मिथुन पानी में दही डालकर अभिषेक करें और भांग, धतूरा चढ़ाएं। - कर्क शिवलिंग पर चंदन, इत्र और गाय के दूध में भांग मिलाकर चढ़ाएं। - सिंह शिवजी को लाल पुष्प अर्पित करें।

- कन्या भांग, बेलपत्र, धतूरा, गंगाजल अर्पित करें।

- तुला गंगाजल में सफेद चंदन मिलाकर चढ़ाएं।

- वृश्चिक लाल गुलाब, बेलपत्र अर्पित करें।

- धनु पीले पुष्प, माला, बेलपत्र अर्पित करें।

- मकर धूतरा, भांग, बेलपत्र चढ़ाएं।

- कुंभ गन्ने का रस और पुष्प अर्पित करें।

- मीन पीले पुष्प, केसर, गन्ना रस चढ़ाएं।


गिरगांव में भोलेनाथ की अदालत में झूठ बोलने पर मिलती है सजा:-

भगवान शिव सभी देवताओं में श्रेष्ठ हैं। इन्हें देवों के देव महादेव भी कहा जाता है। वैसे तो हमें किसी अपराध के न्याय और अन्याय के लिए थाने और न्यायालय की शरण लेनी होती है। कई बार न्याय भी नहीं मिल पाता है। हमारे इसी शहर में 20 किलोमीटर दूर गिरगांव में भगवान भोलेनाथ की अदालत आज भी लगती है। गिरगांव महादेव के सामने खड़े होते ही बड़े से बड़े से विवाद पल भर में सुलझ जाते हैं। महादेव के सामने खड़े होकर झूठ बोलने और पिंडी की कसम खाने पर सजा भी मिलती है। न्यायालयों की तरह फैसले के लिए वादी-प्रतिवादी को वर्षों इंतजार नहीं करना पड़ता है। महादेव तत्काल अपना फैसला सुनाते हैं। इसके एक नहीं कई उदाहरण हंै। इसलिए गिरगांव महादेव के सामने राजनीतिक विवाद भी सुलझने के लिए आते हैं। गिरगांव मंदिर में जज की भूमिका स्वयं भगवान भोलेनाथ निभाते हैं।

चमत्कारी है भूतेश्वर महादेव मंदिर:-

बहोड़ापुर स्थित भूतेश्वर महादेव मंदिर एक चमत्कारी मंदिर है। मंदिर का निर्माण संवत 1937-38 में तत्कालीन महाराज जयाजीराव सिंधिया द्वारा करवाया गया था और आज भी यह मंदिर सिंधिया देव स्थान ट्रस्ट की ही देखरेख में है। मंदिर में भगवान शिव पिंडी रूप में विराजमान हैं। मंदिर के पुजारी ने बताया कि कई वर्ष पहले मंदिर के आसपास मुर्दे जला करते थे। लेकिन बाद में भगवान की पूजा करने के लिए आने वाले लोगों ने जब इस कार्य का विरोध किया। यह बात जब सिंधिया परिवार में पहुंची तो उन्होंने यहां मंदिर का निर्माण करवाया और यहां मुर्दों के जलने पर रोक भी लगाई। भगवान शिव तो भूतों के नाथ हैं इसलिए इसे भूतेश्वर मंदिर के नाम से जाना जाने लगा।

श्री अचलेश्वर महादेव मंदिर वर्षों पुराना मंदिर है। मंदिर के पुजारी छोटेलाल शुक्ला ने बताया कि जिस जगह आज मंदिर है वहां कभी एक वट वृक्ष हुआ करता था। जब तत्कालीन सिंधिया महाराज की सवारी महल से निकलकर गोरखी के लिए जाती थी तो वट वृक्ष के चलते कई बार परेशानी भी होती थी। महाराज ने उस वृक्ष को कटवा दिया। वृक्ष के कटते ही वहां एक शिवलिंग नजर आया। जिसको महाराज ने श्रद्धा पूर्वक मार्ग से हटाकर अन्य स्थान पर विराजमान करने का विचार व्यक्त किया। जब शिवलिंग को दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए खुदाई की तो शिवलिंग का अंत छोर नजर नहीं आया। खुदाई के दौरान जमीन से काफी मात्रा में पानी आना शुरू हो गया, लेकिन शिवलिंग का दूसरा छोर नहीं दिखा। इसके बाद शिवलिंग को हाथियों के जरिए खिंचवाया गया लेकिन सफलता नहीं मिली। इसी दौरान एक बार रात्रि में भगवान शिव ने स्वयं राजा को स्वप्न में आकर कहा मैं जहां पर हूं मुझे वही रहने दो मुझे परेशान करोगे तो अच्छा नहीं होगा। जिसके बाद शिवलिंग को निकालने की किए जा रहे सभी प्रयासों को बंद कर दिया गया। साथ ही उक्त स्थान पर एक मंदिर का निर्माण भी करवाया जिसे आज अचलेश्वर के नाम से जाना जाता है।

हजारेश्वर महादेव, एक शिवलिंग में 1155 ज्योर्तिलिंग:-

गेंडेवाली सडक़ पर रामकुई स्थित हजारेश्वर महादेव शिवलिंग एक अनूठा मंदिर है। सावन मास में यहां अभिषेक करने का विशेष महत्व बताया गया है। मंदिर में स्थित शिवलिंग की ऊंचाई 6 फीट से अधिक है। शिवलिंग देखने में बेहद आकर्षक हैं। खास बात यह है कि मंदिर में एक शिवलिंग में बने 1155 ज्योर्तिलिंग और 55 शिवमुख भक्तों के आकर्षण का केन्द्र हैं। शिवलिंग का अभिषेक करने से भक्तों की सभी मुरादें पूरी होती हैं।

धूमेश्वर महादेव मंदिर पर लगता है मेला:-

धूमेश्वर महादेव मंदिर ग्वालियर जिला मुख्यालय से 70 किलोमीटर दूर और डबरा से पच्चीस किलोमीटर दूर है। महाशिवरात्रि पर लगने वाले मेले में हजारों लोग दर्शन करने यहां पहुंचते हैं। मंदिर को लेकर अनेक किवदंती आज भी प्रचलित हैं जिनमें मंदिर का निर्माण एक रात में होना भी है। मंदिर में विराजमान विशालकाय शिवलिंग के बारे में कहा जाता है कि यह मंदिर के बगल से ही बह रही सिंधु और पार्वती नदी के संगम स्थल से निकला हुआ है। मंदिर की प्राचीनता का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है कि मंदिर के हर भाग में अलग शैली के दर्शन होते हैं। जिनमें हिंदू, मुस्लिम और फिर हिंदू शैली दिखती है। इतिहासकारों का मानना है कि धूमेश्वर मंदिर नागवंशियों के समय में बनाया गया था। बाद में ओरछा के राजा वीर सिंह देव ने वर्ष 1605-1627 के बीच बेहतर रूप से बनवाया। इसके बाद 1936-1938 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार ग्वालियर के शासक महाराजा जीवाजी राव सिंधिया द्वारा करवाया गया।

औरंगजेब ने फेंक दिया था शिवलिंग:-

ग्वालियर किले पर शिवमंदिर में स्थापित शिवलिंग को 17वीं शताब्दी में औरंगजेब ने किले से नीचे फेंक दिया था जो कि लगभग 500 मीटर दूर जाकर गिरा था। किले के नीचे उसी शिवलिंग को कोटेश्वर महादेव के नाम से सिंधिया राजवंश ने संवत 1937-38 में इसे पुन: स्थापित किया। किले पर बने शिव मंदिर में होने वाले जलाभिषेक से किले पर वाटर हार्वेस्टिंग होती थी।

Updated : 7 March 2024 1:30 AM GMT
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स्वदेश डेस्क

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