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आरटीआई से पत्रकारिता खबर, पड़ताल, असर

Price:   00 |  16 March 2019 5:36 PM GMT

आरटीआई से पत्रकारिता खबर, पड़ताल, असर

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भारत में सूचना का अधिकार, अधिनियम 2005 आरटीआई लंबे संघर्ष के बाद जरूर लागू हुआ है, किंतु आज यह अधिकार शासन-प्रशासन व्यवस्था को पारदर्शी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। जहाँ सूचनाओं को फाइल कर लाल फीता बांध कर दबाने की प्रवृत्ति रही हो, वहाँ अब साधारण नागरिक भी सामान्य प्रक्रिया का पालन कर आसानी से सूचनाएं प्राप्त कर सकता है। सूचनाओं तक पहुँच की सुविधा का सबसे अधिक लाभ पत्रकारों को हुआ है। यद्यपि अभी भी पत्रकार सूचना के अधिकार का प्रभावी ढंग से उपयोग कम ही कर रहे हैं। श्यामलाल यादव वह पत्रकार हैं जिन्होंने आरटीआई के माध्यम से पत्रकारिता को नया स्वरूप और नये तेवर दिए हैं। वर्ष 2007 के बाद से अब तक उन्होंने इतनी अधिक आरटीआई लगाईं और उनसे समाचार प्राप्त किए कि न केवल देश में बल्कि देश की सीमाओं से बाहर भी आरटीआई पत्रकार के रूप में उनकी ख्याति हो गई है। उन्होंने अपने अनुभवों को आधार बनाकर अंग्रेजी में एक पुस्तक लिखी जर्नलिज्म आरटीआई: इंफोर्मेशन, इन्वेस्टीगेशन, इंपैक्ट। जो हिंदी में अनुवादित होकर आरटीआई से पत्रकारिता खबर पड़ताल, असर के नाम से प्रस्तुत है। यह पुस्तक सिखाती है कि कैसे पत्रकार सूचना के अधिकार कानून को अपना हथियार बना सकते हैं। श्री यादव ने किस्सागोई के अंदाज में पुस्तक के विभिन्न अध्याय लिखे हैं और बताया है कि एक पत्रकार के तौर पर उन्होंने आरटीआई का किस तरह उपयोग कर सूचनाएं जुटाईं और बारीकी से अध्ययन कर प्राप्त सूचनाओं को किस तरह बड़े समाचारों में परिवर्तित किया।

यह पुस्तक आरटीआई के संक्षिप्त इतिहास के साथ ही आरटीआई के आगमन और मीडिया की भूमिका पर भी पर्याप्त प्रकाश डालती है। पहले ही अध्याय में लेखक ने आरटीआई की उपयोगिता पर पर्याप्त ध्यानाकर्षित किया है। आगे के आठ अध्याय में लेखक विस्तार से अपने अनुभवों को खुलकर पाठक के सामने रखते हैं। जिनसे यह सीखा जा सकता है कि सूचनाएं प्राप्त करने में आरटीआई का बेहतर उपयोग किस तरह किया जाए। उन्होंने मंत्रियों की विदेश यात्राओं, नौकरशाहों की विदेश यात्राओं, आईएएस, आईपीएस, आईआरएस के भ्रष्टाचार के मामलों की जानकारी, सरकार द्वारा वित्तपोषित गैर सरकारी संगठनों के संबंध में खुलासे एक अदद सूचना के अधिकार कानून की मदद से किए हैं। उनकी पुस्तक में विस्तृत व्यावहारिक उदाहरणों के साथ बेहद जरूरी दृष्टिकोण भी है ताकि साथी पत्रकार और भविष्य के पत्रकार उनके अनुभवों से सीख सकें।

पुस्तक के लेखक श्यामलाल यादव खोजी पत्रकारिता के लिए दुनिया भर में जाने जाते हैं। वे माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के दूसरे बैच के विद्यार्थी हैं। उनके कारण सदैव विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा बढ़ी है। श्री यादव जनसत्ता अमर उजाला और इंडिया टुडे में काम कर चुके हैं। वर्तमान में इंडियन एक्सप्रेस में वरिष्ठ संपादक हैं। वह पत्रकारिता जगत के सबसे चर्चित खुलासे पैराडाइज पेपर्स की टीम का हिस्सा रहे हैं। उनके अनुभवों और सफलतम समाचारों के निचोड़ के रूप मे सामने आई यह पुस्तक निश्चित तौर पर नवागत पत्रकार एवं पत्रकारिता के विद्यार्थियों के लिए अत्यंत उपयोगी है।

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